कवि (मंझन) ने प्रेम को संसार में अंगूठी के नगीने के समान अमूल्य माना है। इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए कवि के अनुसार प्रेम के स्वरूप का वर्णन करें।
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कवि (मंझन) ने प्रेम को संसार में अंगूठी के नगीने के समान अमूल्य माना है। इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए कवि के अनुसार प्रेम के स्वरूप का वर्णन करें।

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कवि मंझन के अनुसार प्रेम इस संसार में अँगूठी के अमूल्य नगीने के समान है।

वस्तुतः प्रेम संसार की अमूल्य निधि है। जिसने अपने हृदय में प्रेम को प्रतिष्ठित कर लिया, उसका जीवन धन्य हो गया। प्रेम के कारण इस संसार की उत्पत्ति हुई है, और प्रेम के वशीभूत ईश्वर भी प्रकट होता है।

प्रेम के प्रकाश से ही यह सारी सृष्टि प्रकाशित होती है।

प्रेम ही मानव को ईश्वरत्व प्रदान करता है। प्रेम का सौभाग्य उसे ही प्राप्त होता है, जो भाग्यशाली है।

जो मनुष्य स्वयं को प्रेमपथ पर समर्पित कर देता है, वह महान हो जाता है। वह स्वयं तो अमरत्व प्राप्त कर ही लेता है, दूसरों को भी प्रेमरस का पान करा कर अमर बनने के लिए प्रेरित करता है।

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