भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीर में जाकर कर रखा था। इस देश पर अंग्रेजी हुकूमत कायम थी। यहाँ की जनता को कोई अधिकार नहीं था।
अपने घर में रहकर पराये आदेश को मानना विवशता थी। परतंत्रता की बेड़ी में जकड़ी, काल के कुचक्र में फँसी विवश, भारतमाता चुपचाप अपने पुत्रों पर किए गए अत्याचार को देख रही थी।
इसलिए कवि ने परतंत्रता को दर्शाते हुए मुखरित किया है कि भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी है।