बालक के शिक्षण की शुरुआत वर्णमाला से ही होती है - कविता, कहानी, चित्रकथा, गीत सुनाइए-पढ़ाइए उसके आस-पास उसकी मनचाही सामग्री रखकर शिक्षण की शुरुआत कर सकते हैं।
हिस्से सीखना और कोई कठिन कार्य नहीं है बच्चे के लिए अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग शब्द - चित्रों में जब वही वर्ण बच्चों के सामने आएँगे तो वह उन्हें स्वयं ही पहचान लेगा । वर्णमाला शिक्षण में सरलता लाता है।
बालक अ से अनार, आ से आम जानकर शिक्षा लेता है जिसमें वस्तु के नाम का ज्ञान होता चला जाता है।