भारत की जनसंख्या वृद्धि की विशेषताओं को वताएँ । Bharat Ki Jansankhya Vriddhi Ki Visheshtaon Ko Bataen.
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भारत की जनसंख्या वृद्धि की विशेषताओं को वताएँ । Bharat Ki Jansankhya Vriddhi Ki Visheshtaon Ko Bataen.

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भारत की जनसंख्या की वृद्धि की विशेषताओं का अर्थ है – किसी विशेष समान अंतराल में जैसे 10 वर्षों के भीतर, निवासियों की संख्या में परिवर्तन कहने का तात्पर्य यह है कि भारत की जनसंख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि होती रही है।

देश के बँटवारे के पहले सम्मिलित भारत की जनसंख्या करीब 40 करोड़ थी।

इनमें से करीब 11 करोड़ पाकिस्तान में तथा 29 करोड़ लोग भारत में रहे।

1947 की 29 करोड़ जनसंख्या बढ़कर 1951 में 36 करोड़ तक पहुँच गई।

इस प्रकार 1981 में भारत की जनसंख्या लगभग 68 करोड़ से ऊपर हो गई। वृद्धि की दर 1951 में 1.25%, 1961 में 1.96%, 1971 तक 2.20% तथा 1981 तक 2.22% थी।

इस प्रकार हम देखते हैं कि 1981 तक जनसंख्या में सतत् वृद्धि हुई।

लेकिन जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम के अंतर्गत सरकार द्वारा किये गये प्रयास के सकारात्मक परिणाम के कारण यह वृद्धि दर घटकर 1991 में 2.14% तथा 2001 में 1.93% पर आ गई।

अतः वृद्धिदर घटने के बावजूद भी जनसंख्यावृद्धि जारी रही।

1981 में भारत की जनसंख्या 68 करोड़ के लगभग थी। इसी प्रकार यह 2001 में 103 करोड़ के लगभग पहुँच गई।

इसका कारण यह था कि जनसंख्या जितनी ही अधिक थी, वृद्धि दर के घटने के बावजूद कुल जनसंख्या बढ़ती रही। 2011 की जनगणनानुसार, भारत की जनसंख्या 1,21,01,93,422 (पुरुष- 62,37,24,248; स्त्रियाँ-58,64,69,174) हो गई।

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