बिहार की नहरों के विकास में सबसे बड़ी बाधा है— सतत् प्रवाही नदियों का अभाव।
दक्षिण बिहार की अधिकांश नदियाँ अनित्यवाही हैं। इन नदियों में केवल वर्षाऋतु में ही पर्याप्त जल प्रवाहित होता है।
इस जल को नहरों द्वारा खेतों तक पहुँचाया जाता है। ऐसी अनित्यवाही नहरों का निर्माण अलाभकारी होता है, क्योंकि ऐसी नहरों से वर्षभर सिंचाई कार्य नहीं हो पाता।
उत्तर बिहार में प्रवाहित होनेवाली बड़ी नदियों पर बाँध बनाकर नहरों का जाल फैलाया गया है।
लेकिन, इन नहरों में गाद बैठ जाने के कारण वे उथली हो जाती हैं, जिससे उनकी जलधारण की क्षमता घट जाती है।
खेतीयोग्य जमीन पर से नहर निकालने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि कृषक अपनी जमीन देना नहीं चाहते हैं ।