लेखक अमृतलाल नागर ने सावे दादा की तुलना में दादा साहब फालके को ही भारतीय सिनेमा का जनक इसलिए माना, क्योंकि दादा साहब ने एक के बाद एक कई फीचर फिल्में बनाई। इस रूप में उन्होंने फिल्म उद्योग की नींव जमाई। किन्तु सावे दादा ने बहुत-सी छोटी-मोटी डाक्यूमेंट्री फिल्में ही बनाई ।
यदि पहली फीचर फिल्म 'भक्त पुंडलीक' को सावे दादा की बनाई सिद्ध हो, फिर भी उनकी अपेक्षा दादा साहब फालके को ही भारतीय सिनेमा का जनक माना जाना ही उचित है। प्रमाणस्वरूप भारत सरकार ने भी फिल्म के सर्वोच्च पुरस्कार को दादा साहब फालके पुरस्कार कहकर फिल्म के इतिहास की वंदना की है।