पठन कौशल को अगर वास्तव में 'निपुणता' के स्तर पर लाना है तो पढ़ने का माहौल तो बनाना ही होगा। कक्षा में कक्षा के बाहर, यहाँ तक कि अभिभावकों से संवाद स्थापित कर उनके घर में भी आपेक्षित माहौल बनाया जा सकता है। यह माहौल बनेगा रुचिकर पठन सामग्री की उपलब्धता से। आपने जरूर गौर किया होगा कि उन बच्चों पर जिन्होंने अभी-अभी पढ़ना सीखा है, कोई भी कागज उनके हाथ लगता है जिस पर कुछ लिखा हो, छपा हो चाहे वह कोई लिफाफा हो या चने-मूँगफली को लपेटे कोई पुराना-सा कागज, वे उसे उलट-पुलट कर पढ़ते जरूर हैं। सड़कों के किनारे लगे इश्तिहारों पर उनकी नजरें घूमती रहती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि वे पढ़ने के लिए उत्सुक है। इस उत्सुकता को बरकरार रखना या खत्म कर देना, दोनों बहुत कुछ हमारे हाथ में है।