जब तक एक बच्चा पढ़ी हुई सामग्री को समझने या पहले से ज्ञात किसी चीज से जोड़ने में असमर्थ रहता है तब तक हम उसकी पढ़ने की क्षमता को स्वस्थ्य नहीं कह सकते। पढ़ने की परिभाषा हम लिखे हुए शब्दों शब्दों में अर्थ ढूँढने की प्रक्रिया के रूप में सीखना शुरू करने के कुछ इसी तरह के तरीके 1960 व 70 के दशक के दौरान रूस में से खोजे गए। इनका अध्ययन एल्कोनिन ने किया।
ध्वनि सिद्धान्त का ज्ञान याने के यह जानना कि किसी शब्द के अक्षरों का संबंध उस शब्द की अलग-अलग ध्वनियों से है। इस ज्ञान से अधिक है जो कि अक्षरों को स्थाई ध्वनि के चिन्ह रूप में देखता है। बच्चे यह सीख सकते हैं कि But ध्वनि विवरण के रूप में अक्षर b के लिए उपयुक्त किन्तु अगर वह Job और Crab जैसे शब्दों में समान phoneme नहीं पहचान कर सकते तो उन्होंने अक्षर नियम अख्तियार नहीं किया।
सामान्य गति से आगे बढ़ने के लिए यदि हम यह मान लें कि पढ़ना सीखना शुरू करते समय इस सिद्धांत को जान लेना व उसका मतलब समझ पाना जरूरी है, तो शिक्षक को सुनिश्चित करना होगा कि उसके छात्र इसे जल्दी सीख जाएँ। यह सवाल उठेगा कि क्या यह ज्ञान अपने आप बच्चे में बनता रहता है और इसके अचानक अपने आप उभरने का इन्तजार करना चाहिए या इसे भी खास तौर से पढ़ाकर सिखाया जा सकता है।