आर. एल. सिंह (R.L. Singh) के अनुसार, "पृथ्वी के समस्त भू-भाग अथवा किसी एक भाग को समतल कागज पर सांकेतिक द्वारा उचित मापक तथा प्रक्षेप पर चित्रण को मानचित्र कहते हैं, जो पृथ्वी के वास्तविक स्थलीय रूप के प्रत्येक अवयव के अनुरूप होता है।" सिंह एवं कन्नोजिया (Singh and Kannojia) के अनुसार, 'मानचित्र समस्त पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग का जैसा कि वह ऊपर से दृष्टिगोचर होती है, परम्परागत लघु मापक चित्रण है।"