विश्व एवं देश के मानचित्र का पठन (Reading of World and Country Map ) विषय सामग्री के अनुसार मानचित्रों को प्रदर्शित किया जाता है।
विषय-सामग्री को मानचित्रों पर किस प्रकार से दिखाया जाय ? इस प्रश्न का कोई एक उत्तर नहीं है।
समय की माँग एवं आवश्यकता को देखते हुए एक ही व्यक्ति, एक ही प्रकार की सामग्री को अलग-अलग विधियों से मानचित्रों पर प्रदर्शित कर सकता है।
अतः अध्यापक को इनमें से कुछ सर्वमान्य विधियों के बारे में अवश्य जानना चाहिये जिससे कि वह न केवल मानचित्र दिखाने में बल्कि मानचित्र बनाने में भी कुशलता प्राप्त कर सके। संक्षेप में कुछ सर्वमान्य प्रमुख विधियों का विवरण निम्न प्रकार है
1. छाया विधि (Shade method) - इस विधि का प्रयोग वितरण मानचित्रों में किया जाता है। छाया का चुनाव आँकड़ों को देखकर करते हैं।
कम मात्रा के लिये हल्की छाया प्रयोग करते हैं एवं मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ छाया भी गहरी होती जाती है।
छाया विधि द्वारा भूमि उपयोग, भू-संरचना, जनसंख्या घनत्व आदि को दिखाने के साथ-साथ वर्षा के वितरण आदि को भी आसानी से दिखाया जाता है।
यह विधि इसलिये अच्छी है क्योंकि मानचित्र को देखते ही स्थिति स्पष्ट हो जाती है।
2. बिन्दु विधि (Dot method) — यह विधि सबसे सरल एवं उपयोगी है। इस विधि में बिन्दुओं द्वारा मात्रा को दिखाया जाता है।
मात्रा के बढ़ने के साथ-साथ बिन्दुओं की भी सघनता बढ़ती जाती है। फसलों का उत्पादन, जनसंख्या वितरण, खनिज पदार्थ, शक्ति के साधन, पशु उद्योग, बाजार आदि को इस विधि द्वारा मानचित्र पर प्रदर्शित किया जा सकता है। इसमें प्रत्येक बिन्दु सावधानी से समान आकार में दर्शाना होता है।
3. सममान विधि (Isopleth method) - इस विधि में किसी वस्तु का प्रदर्शन समान रेखाओं द्वारा किया जाता है।
इस विधि से जलवायु सम्बन्धी मानचित्र बनाये जाते हैं। धरातलीय ऊँचाई को भ दिखाया जा सकता है। इस विधि से एक जैसे स्थान को एक ही रेखा द्वारा मिलाया जाता है। अतः मानचित्र देखते ही आसानी से स्थिति स्पष्ट हो जाती है।