दोषयुक्त मानचित्र के उपयोग से उत्पन्न भ्रान्ति से मुक्त होने तथा उन्हें प्रभावी बनाने के लिये उनकी निम्नांकित कारकों पर ध्यान देना आवश्यक है
(1) पठनीयता - कक्षा में सभी विद्यार्थी अपने स्थान से प्रदर्शित मानचित्र को सरलता से पढ़ सकें, इसके लिये मानचित्र सुस्पष्ट एवं सुपाठ्य होना चाहिये ।
(2) विवरण - पाठ से सम्बन्ध विवरण ही मानचित्र में दिखाये जाने चाहिये ।
(3) माप - मानचित्र एक निश्चित माप के अनुकूल समानुपात में निर्मित हो तथा उस माप का उल्लेख भी किया जाये ।
(4) चिह्न तथा रंग सूची - मानचित्र के अध्ययन से सहायक अत्यन्त आवश्यक चिह्नों की सूची दी जाये तथा प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाये।
(5) शुद्धता तथा टिकाऊपन - मानचित्र सभी दृष्टि से शुद्ध बनाया जाये, उसमें प्रदर्शित स्थान, सीमाएँ एवं भौगोलिक तथ्य आदि सही स्थल पर दिखाये जायें। मानचित्र टिकाऊ होना भी प्रयोगों की दृष्टि से आवश्यक है। यदि वे लपेट-फलक पर बनाये गये हों तो प्रदर्शन के समय में अस्पष्टता न आने पाये ।