मानचित्र के उपयोग में सावधानियाँ (Cautions for using map) — मानचित्र का उपयोग करने एवं उनका निर्माण करने में अध्यापक को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए
- मानचित्र कक्षा के आकार एवं स्तर के अनुसार होना चाहिये।
- मानचित्र विषय-सामग्री के अनुसार होना चाहिये।
- मानचित्र सही मापक पर बना होना चाहिये।
- मानचित्र पर भौगोलिक स्थलाकृति एवं अन्य वस्तुओं के लिये निर्धारित चिह्नों आदि का प्रयोग करना चाहिये।
- प्रयोग में लाने से पूर्व ही यही निश्चित कर लेना चाहिये कि क्या मानचित्र विषय-वस्तु के शिक्षण से सम्बन्धित उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक है ?
- शिक्षण कार्य करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि मानचित्र कक्षा में उसी समय लगाया जाय, जबकि उसकी आवश्यकता हो उसके बाद उसे तुरन्त उतार लिया जाय अन्यथा वह अनावश्यक ही शिक्षार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा और सीखने की प्रक्रिया में बाधा आयेगी।
- मानचित्र पर अक्षरों, चिह्नों आदि को इस प्रकार से लगाना चाहिये कि छात्र आसानी से देख सकें एवं पढ़ सकें।
- अध्यापक को यह नहीं भूलना चाहिये कि मानचित्र शिक्षण का साधन है साध्य नहीं।
- मानचित्र पर मापनी स्पष्ट लिखी होनी चाहिये।
- यदि आवश्यक हो तो मानचित्र पर प्रदर्शित सामग्री को मानचित्र के पास संकेतांकों में लिखकर स्पष्ट कर देना चाहिये।
- मानचित्र के प्रयोग से शिक्षार्थी मानचित्र बनाने के लिये प्रोत्साहित होने चाहिये।
- अध्यापक को मानचित्र का प्रयोग करने के साथ ही साथ कक्षा पर भी पूर्ण ध्यान रखना चाहिये ताकि प्रत्येक शिक्षार्थी मानचित्र को ध्यानपूर्वक देख सके एवं समझ सके ।
- मानचित्र का प्रयोग करते समय मनोविज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों का भी ध्यान रखना चाहिए