कांग्रेस के 1907 के सूरत अधिवेशन में उदारवादी, रासबिहारी घोष को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन गरमपंथी लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
अंततः रासबिहारी घोष अध्यक्ष बनने में सफल हुए। इस अधिवेशन में, 1906 के कोलकाता अधिवेशन में पास करवाए गए चार प्रस्ताव- स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा एवं स्वशासन को लेकर विवाद गहरा गया और गर्मपंथी एवं उदारवादियों के बीच संघर्ष के कारण अंततः कांग्रेस में विभाजन हो गया।