भारत में नृत्य का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। पुरातात्विक एवं साहित्यिक स्रोतों से पता चलता है, कि भारत में नृत्य कला की समृद्ध परंपरा रही है।
पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत प्रागैतिहासिक काल में निर्मित गुफा चित्रकला, सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थलों, जैसे मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर्तकी की मूर्ति आदि प्रमुख हैं।
साहित्यिक स्रोतों में भरतमुनि के नाट्यशास्त्र तथा आचार्य नन्दकेश्वर के अभिनय दर्पण को नृत्य के आदि ग्रंथ के रूप में स्वीकार किया जाता है।
प्राचीन तमिल साहित्य तोलकप्पियम तथा शिलप्पादिकरम ने तमिलनाडु में नृत्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया शिल्पा दिया। 'शिलप्पादिकरम' नायिका माधवी नृत्यकला में अत्यंत दक्ष थी।