रूस (Russia) में अधिकांश किसान बँधुआ मजदूर थे। वे सामंतों के अधीन जमीन से बँधे हुए थे। क्रीमिया युद्ध के बाद सन् 1861 ई० में जार अलेक्जेंडर द्वितीय ने कृषिदासता समाप्त कर दी।
इससे उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ, लेकिन विशेष परिवर्तन नहीं आया। जमीन के लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी।
जिससे कर्ज का बोझ बढ़ गया। करों का बोझ भी था जिसे चुकाने के लिए उन्हें अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी अथवा बेचनी पड़ी। अतः, वे पुनः खेतिहर मजदूर बन गए।