सन् 1917 ई० की रूसी क्रांति (Russian Revolution) एक युगांतकारी घटना थी। जिसका प्रभाव न सिर्फ रुस पर पड़ा बल्कि इस क्रांति ने संपूर्ण विश्व पर एक व्यापक प्रभाव डाला।
साथ ही इस क्रांति के प्रारंभ होने के पीछे काफी सारे कारण (Causes) थे, जिनमें कुछ कारण प्रमुख थे, जो इस प्रकार हैं :
- राजनीतिक कारण- रोमोनोव वंश का शासक जार निकोलस द्वितीय सर्व शक्तिशाली और स्वेच्छाकारी था। प्रशासन में भ्रष्टाचार (Corruption) व्याप्त थी। सरकार की रूसीकरण की नीति (एक जार, एक चर्च और एक रूस) से रूस में निवास करने वाले विभिन्न प्रजातियों में असंतोष व्याप्त हो गया।
परिणामस्वरूप, अनेक विद्रोह हुए जिन्हें सरकार द्वारा क्रूरतापूर्वक दबा दिया गया। बाल्कन युद्धों, क्रीमिया युद्ध और रूसी-जापानी युद्ध में पराजय से जारशाही की शक्ति और प्रतिष्ठा कमजोर हो गई। साथ ही प्रथम विश्व युद्ध (World War-I) में पराजय इस क्रांति के प्रारंभ की तात्कालिक कारण बन गई।
- सामाजिक कारण- रूस की बहुसंख्यक जनसंख्या अर्थात अधिकांश जनसंख्या कृषक (Peasant) थी। जिनकी स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई थी। पूंजी का अभाव तथा करों के बोझ से दबे हुए थे।
सन् 1861 ई० में कृषिदासता समाप्त किए जाने के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं आया। अतः किसानों के पास क्रांति के सिवा अब कोई चारा नहीं था।
- आर्थिक कारण- औद्योगिक दृष्टि से रूस एक पिछड़ा हुआ देश था। उद्योगों पर जार एवं कुलीनों का आधिपत्य था तथा राष्ट्रीय पूंजी का अभाव था।
व्यापार का भी समुचित विकास नहीं हो सका। साथ ही लगातार युद्धों से देश की अर्थव्यवस्था दिवालियापन के कगार पर पहुंच गई। अतः यह भी क्रांति का एक कारण बन गया।
- धार्मिक कारण- रूस पर कट्टरपंथी ईसाई धर्म एवं चर्च का व्यापक प्रभाव था। रूस के अन्य नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं थी। जो रूस की क्रांति का कहीं न कहीं एक कारण बन चुकी थी।
- बौद्धिक कारण- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में रूस में बौद्धिक जागरण हुआ। अनेक साहित्यकारों, जैसे- प्लेखानोव, लियो टॉलस्टॉय, इवान तुर्गनेव, मैक्सिम गोर्की, एंटन चेखव आदि।
जैसे - चिंतको ने अपने लेखों और पुस्तकों द्वारा भ्रष्ट राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था की ओर रुसियों (Russians) का ध्यान आकृष्ट कर उन्हें परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित किया। साथ ही मार्क्सवाद के बढ़ते प्रभाव से भी इस क्रांति को बढ़ावा मिला।