शुरू से ही काँग्रेस (Congress) द्वारा राजनीतिक सुधारों की मांगों के प्रति ब्रिटिश सरकार (British Government) का रुख सकारात्मक नहीं था।
अतः कुछ राष्ट्रीयवादियों में असंतोष फैला और काँग्रेस की भिक्षावृत्ति की नीति के विपरीत आंदोलन कर स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य बनाया। यहीं से उग्रवाद (Extremism) शुरू हुआ।
इसके प्रणेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक थे। लाला लाजपत राय तथा बिपिन चन्द्र पाल भी उग्रवाद के समर्थक थे।