असहयोग आन्दोलन (Non-cooperation Movement) को गाँधी जी ने 5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के कारण निलंबित कर दिया । 12 फरवरी, 1922 को गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने की घोषणा की। असहयोग आन्दोलन 1 अगस्त, 1920 को शुरू किया गया था। कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन को शुरू करने की मंजूरी मिली।
असहयोग आन्दोलन के दौरान लगभग 20 लाख चरखा बाँटे गए।
गाँधीजी को हिंसा फैलाने के आरोप में कैद कर लिया गया, 6 वर्षों की सजा दी गई, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मई 1924 में छोड़ दिया गया।
असहयोग आन्दोलन वापस लेने का भारी विरोध किया गया नेताजी ने इसे राष्ट्रीय दुर्भाग्य (दुर्घटना) की संज्ञा दी।
असहयोग आंदोलन का समय 1920-22 ई. माना जाता है।
असहयोग आंदोलन के निम्न कारण माने जाते हैं —
- 1919 का रॉलेट एक्ट
- जालियाँवाला बाग हत्याकांड
- हंटर कमिटी की रिपोर्ट
- भारतीय स्वराज्य की माँग।