24 नवंबर, 1919 को दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का अधिवेशन हुआ, जिसके अध्यक्ष गांधीजी थे।
दिसंबर, 1919 में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में खिलाफत आंदोलन को और अधिक बढ़ावा मिला। अब कांग्रेस ने बड़ी सावधानी से धार्मिक मामलों से स्वयं को पृथक रखा।
किंतु खिलाफत आंदोलन शुरू होने के बाद महात्मा गांधीजी (Mahatma Gandhi) ने यह अनुभव किया कि हिंदू-मुस्लिम को एक जुट करने का यह स्वर्णिम अवसर है, जो आगे सौ वर्षों में प्राप्त नहीं हो सकता।