भारत में लोकतांत्रिक सुधार के निम्नांकित चार मुख्य उपाय हैं —
- बेरोजगारों को रोजगार : जब तक नागरिकों को काम नहीं मिलता तब तक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता। बेरोजगारों को रोजगार देने की कोशिश की जा रही है।
लघु एवं कुटीर-उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। शिक्षित बेरोजगारों को अपना व्यवसाय आरंभ करने के लिए ऋण की व्यवस्था की गई है।
पंचवर्षीय योजनाओं में बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- पंचायती राज : लोकतंत्र को समस्याओं का सामना तब करना पड़ता है जब लोग सजग नहीं रहते हैं। सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जाती है।
लोगों को शासन के काम में दिलचस्पी लेनी चाहिए। पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है।
- असमानता का अंत : सामाजिक और आर्थिक असमानता दूर करने का भी जोरों से प्रयास चल रहा है। अमीर-गरीब के बीच की खाई भी पाटी जा रही है।
सरकार गरीबी दूर करने की कोशिश में लगी है। आर्थिक समानता लाकर ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सकता है। इससे भी सामाजिक भेदभाव मिट रहे हैं।
- नागरिकों में राजनीतिक सजगता : लोगों में राजनीतिक सजगता बढ़ी है। देश में निर्वाचन का दौर बराबर चलता रहा है। इससे लोग राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र के माध्यम से लोग सरकार के प्रतिदिन के कामों के बारे में जानने लग गए हैं।