प्रथम विश्वयुद्ध 1882 में जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली (i) गुटों का निर्माण तीन देशों ने त्रिगुट बनाया। इस गुट के विरोध में 1907 में फ्रांस, रूस तथा ब्रिटेन ने एक त्रिदेशीय संधि बनाई। इन गुटों की उपस्थिति युद्ध को अनिवार्य बना दिया।
(ii) साम्राज्यवाद : औद्योगिक क्रांति के कारण यूरोपीय देशों के व्यावसायिक गाल की खपत और कल-कारखानों के लिए कच्चे माल की प्राप्ति की समस्या उत्पन्न हुई जिसका हल उन्हें साम्राज्य विस्तार में दिखाई दिया। इस प्रकार साम्राज्य विस्तार की भूख युद्ध का कारण बना।
(iii) उग्र राष्ट्रीयता: उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा। अतः जब यूरोप की विभिन्न जातियाँ अपने सभ्यता, धर्म और संस्कृति का पाठ संसार को पढ़ाने के लिए आगे बढ़ी तो उनके परस्पर संघर्ष होना आवश्यक हो गया जिसका अंतिम रूप प्रथम विश्वयुद्ध था।
(iv) सैनिकवाद : उग्र राष्ट्रीयता तथा साम्राज्यवाद की मनोवृत्ति ने यूरोपीय राष्ट्रों का ध्यान सैनिकवाद की ओर आकर्षित किया। अतः यूरोपीय देश अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने लगे। सभी देश एक-दूसरे को संदेह तथा शत्रुता की नजर से देखने लगे। अतः यह भी युद्ध का एक कारण बन गया।