चित्रकारी बच्चों के समग्र विकास में और विशेषकर भाषा के प्रयोग और लेखन में, योग दे सकती है, बशर्ते कि बच्चे को चित्र माध्यम में पढ़ने को पूरी तरह आजाद छोड़ दिया जाए।
यदि आप तीन-चार वर्ष के बच्चों के साथ काम कर रहे तो अध्यापक के रूप में आपका मुख्य जिम्मा कागज और रंग उपलब्ध कराना और बच्चे का पूरा काम होने तक धीरज रखना है। हमारे देश में अध्यापक से निर्देश लेने की परम्परा रही है, इसलिए बहुत से बच्चे आपसे पूछेंगे कि वे क्या बनायें और कैसे बनायें |
अध्यापक से निर्देश माँगने की जगह स्वयं अपने भावों की अभिव्यक्ति के लिए चित्र माध्यम का आनन्दपूर्वक उपयोग करने की आदत आसानी से नहीं पड़ेगी। ऐसी आदत तभी पड़ सकती है जब अध्यापक सब्र रखे, प्रोत्साहन दे और जो अपना लक्ष्य जानता हैं ।