पृथ्वी धातुओं और खनिज संसाधनों से भरपूर है। ये बहुत ही महत्त्वपूर्ण अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन (Non-Renewable Natural Resources) हैं।
प्रौद्योगिकी विकास (Technology Development) की प्रक्रिया ने खनन तकनीकों को सुदृढ़ किया है। जिससे संसाधनों का उत्तरोत्तर रूप में तेज़ी से खनन किया जा रहा है।
अब इन संसाधनों के समाप्त होने की आशंका वैज्ञानिकों व विश्लेषकों द्वारा व्यक्त की जा रही है। पृथ्वी से खनिजों के निष्कर्षण के दौरान बड़ी मात्रा में कूड़े का ढेर उत्पन्न होता है।
खनिज अपशिष्टों (Mineral Wastes) के ढेर से भूमि का एक बहुत बड़ा भाग घिर जाता है जो कृषि कार्यों के लिये भी अयोग्य होता है।
खनन क्षेत्र (Mining Area) अधिकांशतः दुर्गम या वनीय क्षेत्रों में होते हैं जिससे वनोन्मूलन की समस्या भी उत्पन्न होती है।