औद्योगिक वृद्धि (Industrial Growth) के पर्यावरणीय प्रभावों को संक्षेप में स्पष्ट किया जा सकता है जो निम्नलिखित हैं:-
- औद्योगिक वृद्धि से वायु प्रदूषण को अधिक बल मिला है, क्योंकि उद्योगों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की गैसों द्वारा वायुमण्डल को प्रदूषित किया जाता है, जो कि मानव के लिये हानिकारक है।
- औद्योगिक वृद्धि के द्वारा ही विभिन्न प्रकार के वाहन सड़क पर दौड़ते दिखायी देते हैं जिनसे निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड एवं कार्बन डाईऑक्साइड गैस वायुमण्डल को प्रदूषित कर रही हैं।
- औद्योगिक विकास की दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) का अनुचित दोहन किया जाता है, जिससे पर्यावरणीय संसाधन प्रायः समाप्ति की ओर जा रहे हैं; जैसे-कीमती लकड़ी का अभाव, कोयले का अभाव एवं पेट्रोलियम पदार्थों का अभाव आदि।
- औद्योगिक विकास की गति के कारण ही एक ओर मानव विकास की गति पर दौड़ रहा है वहीं दूसरी ओर वह पर्यावरण को प्रदूषित कर अपना विनाश निश्चित कर रहा है।
- औद्योगिक वृद्धि के कारण ही जल प्रदूषण में वृद्धि हुई है, क्योंकि उद्योगों से बचे हुए पदार्थों को यों एवं नालों में बहा दिया जाता है। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो गया है।