पर्यावरण अवक्रमण से आप क्या समझते हैं? Paryavaran Avkraman Se Aap Kya Samjhte Hain?
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पर्यावरण अवक्रमण से आप क्या समझते हैं? Paryavaran Avkraman Se Aap Kya Samjhte Hain? Or, What do you mean by Environmental Degradation in Hindi?
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पर्यावरण अवक्रमण (Environmental Degradation) : जनसंख्या में तीव्र वृद्धि द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग और तीव्र दोहन हो रहा है जिसका परिणाम मृदा निम्नीकरण, जैव विविधता में कमी और वायु, जल स्रोतों के प्रदूषण के रूप में दिखाई पड़ रहा है।

अत्यधिक दोहन के कारण पर्यावरण का क्षरण हो रहा है तथा यह मानव जाति और उसकी उत्तरजीविता के लिये खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण अवक्रमण विशेषकर निर्धन ग्रामीणों में गरीबी को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक है।

प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर जैव-विविधता पर ग्रामीण निर्धनों (Rural Poverty) व आदिवासियों (Tribals) की निर्भरता स्वतः सिद्ध है।

यदि देखा जाए तो महिलाओं पर इन प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) के अवक्रमण का बुरा प्रभाव पड़ता है।

क्योंकि इन संसाधनों को एकत्र करने एवं उपयोग करने के लिये वे सीधे रूप से उत्तरदायी होती हैं।

मानवीय क्रियाकलापों जैसे वनोन्मूलन, अनवीकरणीय ऊर्जा के अत्यधिक प्रयोग ने पर्यावरण अवक्रमण की समस्या को बढ़ा दिया है।

क्योंकि वन पर्यावरण संतुलन के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। पेड़ों व वनों की कटाई के कारण उन क्षेत्रों में वर्षा की कमी हो गई है तथा मृदा अपरदन तीव्र हो गया है।

अनवीकरणीय ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। कोयला, लकड़ी, पेट्रोल आदि के अत्यधिक मात्रा में उपयोग से विषैली गैसें जैसे SO2, NO2, COआदि वायु में मिल जाती हैं।

ये गैसें विद्युत संयंत्र, मोटर गाड़ी तथा उद्योगों से निकलती हैं और वायु को प्रदूषित करती हैं जिससे मानव स्वास्थ्य और पौधों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

बढ़ती जनसंख्या के लिये स्थान, आश्रय और उपयोगी वस्तुओं की आवश्यकता के कारण पर्यावरण पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है और इन सभी वस्तुओं को उपलब्ध कराने के लिये नाटकीय तरीके से भूमि का प्रयोग बदल रहा है।

अत्यधिक मात्रा में खाद्य पदार्थों के उत्पादन करने के लिये वनों को काटा जा रहा है, इसके अलावा आधारभूत संरचना के विकास ने भी वनोन्मूलन में वृद्धि की है।

तीव्र गति से होने वाले औद्योगीकरण के कारण भी पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

वनोन्मूलन के कारण मृदा अपरदन, भूस्खलन, गाद का जमाव, वन्य पर्यावरण में क्षति हो रही है, जिसके फलस्वरूप आज वन्य जीवों के संकटापन्न की स्थिति उत्पन्न हो रही है तथा कई वन्य जीव प्राणी आज विलुप्त होने के कगार पर हैं।

उद्योगों (Industries) से निकलने वाले CO2, का कुछ भाग पेड़-पौधे तथा वन अवशोषित (Absorbed) कर लेते हैं किन्तु वनोन्मूलन के कारण CO2, सिंक कम हो जाता है और CO2, पर्यावरण में एकत्र हो जाती है जिसके कारण तापमान में वृद्धि होती है।

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