वियतनामी गृह-युद्ध में अमेरिकी हस्तक्षेप, जेनेवा समझौता ने वियतनाम के बँटवारा द्वारा इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने की कोशिश की थी, किन्तु दोनों वियतनामों में अलग-अलग तरह की सरकारें होने से स्थाई शांति की उम्मीद कम थी। समझौते में जनमत संग्रह कराकर दोनों के एकीकरण का भी प्रावधान था, किन्तु ऐसा नहीं हो पा रहा था।
वियतनामी जनता एकीकरण के पक्ष में थी, उत्तरी वियतनाम भी ऐसा चाहता था किन्तु दक्षिणी वियतनामी सरकार अपनी सत्ता खोने के डर से इससे लगातार इनकार करती रही।
शुरू में दक्षिणी वियतनाम की जनता शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण के लिए प्रयासरत थी। इसमें असफल होने पर 1960 में वियतकांग (राष्ट्रीय मुक्ति सेना) का गठन किया गया जो हिंसात्मक तरीका से एकीकरण का प्रयास करने लगा।
1961 में दक्षिणी वियतनाम में स्थिति बिगड़ने पर आपातकाल की घोषणा की गई और वहाँ गृहयुद्ध शुरू हो गया ।
साम्यवाद को रोकने के नाम पर अमेरिका वियतनामी मामले में प्रत्यक्षतः कूद पड़ा। उसने सितम्बर, 1961 में एक श्वेतपत्र (शीर्षक था, शांति को खतरा) जारी कर हो-ची-मिन्ह को इस गृहयुद्ध के लिए जिम्मेवार बताया और दक्षिणी वियतनामी सरकार को सैनिक सहायता के नाम पर अपने सैनिक भेजने लगा।
न्यो-चिन्ह-दियम सरकार अत्याचारी और भ्रष्ट थी। 1963 में दियम सरकार का तख्ता पलटकर सेना के जनरल नगू रुनवान थिऊ ने सत्ता संभाली। यह स्थिति अमेरिका के लिए पूर्णतः अनुकूल थी। उसकी सहमति पर लगभग पाँच लाख अमेरिकी सैनिक वियतनाम पहुँच गये।
अमेरिका ने वियतनाम के विरुद्ध इस संघर्ष में अपनी भीषण सैन्य शक्ति का उपयोग किया। उसने खतरनाक हथियारों, टैंकों एवं बमवर्षक विमानों का व्यापक प्रयोग किया। 1967 तक इस क्षेत्र पर इतने बम गिराए गए जितने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इंगलैंड पर भी नहीं गिराए थे। साथ ही, उसने रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया जो अत्यंत घातक एवं पर्यावरण के लिए विषैले थे। रासायनिक हथियारों में नापाम बम, एजेंट ऑरेंज, फॉस्फोरस बम अत्यंत कुख्यात थे।
इस युद्ध में अमेरिका का विरोध उत्तरी वियतनाम के साथ-साथ वियतकांग एवं उसकी समर्थक दक्षिणी वियतनामी जनता ने किया । अमेरिकी सैनिकों ने अत्यंत बर्बरता दिखाई । निहत्थे ग्रामीणों को घेरकर मार दिया जाता था। उनकी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार होता था, फिर उन्हें भी मार डालते थे और गाँव को आग लगा देते थे। माई-ली ऐसा ही एक गाँव था जहाँ एक बूढ़े व्यक्ति के जिन्दा बच जाने से इस तरह की बर्बरता का पता चला।