विजयनगर के शासकों ने स्थापत्य कला के विकास में प्रशंसनीय योगदान दिया। दक्षिण भारत में मंदिर निर्माण शैली का चरमोत्कर्ष विजयनगर के शासकों के काल में ही प्राप्त हुआ।
इस शैली के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में देवराय द्वितीय द्वारा निर्मित हजारा मंदिर और कृष्ण देवराय द्वारा निर्मित विठ्ठल स्वामी के मंदिर का नाम लिया जा सकता है।
इसमें अत्यन्त अलंकृत स्तम्भों का प्रयोग होता था। गोपुरम और मंदिर के स्तम्भों के अलंकार पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया।
विजयनगर स्थापत्य शैली की मूर्तियाँ और स्तम्भ एक ही पत्थर को काटकर निर्मित की जाती थी।
इनमें कांचीपूरम् का एकाग्रनाथ मंदिर तथा ताड़पत्री स्थित रामेश्वरम् मंदिर अपने सुन्दर गौपुरों के कारण अत्यन्त प्रसिद्ध हैं।
विजयनगर के शासकों द्वारा अनेक महलों एवं राजप्रासादों का भी निर्माण हुआ, जिनमें से कुछ के अवशेष साम्राज्य की राजधानी विजयनगर (हम्पी) में देखे जा सकते हैं।