विजयनगर के शासकों ने सिंचाई व्यवस्था पर पर्याप्त ध्यान दिया। विजयनगर चारों ओर से ग्रेनाइट की चट्टानों से घिरा था।
इन चट्टानों से कई जलधारायें फूटकर तुंगभद्रा नदी में मिलती थी। इससे एक प्राकृतिक कुंड का निर्माण हुआ था। इन सभी धाराओं को बांधकर पानी के हौज बनाये गये थे, इन्हीं में से एक धाराओं का नाम कपलपुरम जलाशय था।
इससे आस-पास के खेतों की सिंचाई की जाती थी। इससे एक नहर भी निकाली गई थी। इनसे धान के खेतों और बगीचों की सिंचाई की जाती थी।