सिन्धुघाटी की सभ्यता (Harappan Civilization) अपनी नगर योजना तथा भवन निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध थी।
सभी बड़े नगर एक सुनिश्चित योजना के आधार पर बने थे। खुदाई में प्राप्त भग्नावशेषों से नगर निर्माण योजना की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं।
सड़कों का प्रबंध-आवागमन की सुविधा के लिए सड़कों की समुचित व्यवस्था की गई थी। संपूर्ण नगर में सड़कों एवं नालियों का जाल-सा बिछा हुआ था।
सड़कें पूरब से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। सम्पूर्ण नगर आयताकार खण्डों में विभक्त नजर आती थी।
i. नालियों का प्रबंध : नगर निर्माण की एक अन्य विशेषता गन्दे जल के निकास की सुन्दर व्यवस्था थी। गन्दे जल की निकासी के लिए सारे नगर में नालियों का जाल-सा बिछा हुआ था।
घरों से गन्दा पानी बहकर गली की नालियों में चला जाता था, फिर छोटी नालियाँ बड़ी नालियों में मिलती थीं जो अन्त में विशाल नालों में मिलकर शहर से बाहर चला जाता था।
ii. भवन तथा सार्वजनिक स्थान : सिन्धु घाटी सभ्यता के नगरों में छोटे-बड़े सभी प्रकार के घर मिलते हैं।
प्रत्येक घर के बीच में एक आंगन, उसके चारों तरफ कमरे, रसोईघर, शौचालय और स्नानगृह पाया गया है।
भवन निर्माण में आडम्बर अथवा सजावट की ओर कम उपयोगिता की ओर अधिक ध्यान दिया जाता था।
iii. सार्वजनिक स्नानागार : मोहनजोदड़ो का सबसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान विशाल स्नानागार था। इस स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना था।
इसको भरने के लिए पास में एक बड़ा कुआँ था। इस स्नानागार का प्रयोग संभवतः विशेष अवसरों पर सार्वजनिक स्नान के लिए किया जाता था।
उपर्युक्त विवरण से पता चलता है कि सिन्धुघाटी की सभ्यता बड़े नगरों की सभ्यता थी।
सुन्दर सड़कों, नालियों एवं गलियों की साफ-सफाई से इस बात का संकेत मिलता है कि यहाँ कोई नियमित शासन व्यवस्था थी जो अपना काम बड़ी सावधानी से सम्पन्न करता था।