भारत में कोयला शक्ति (Power) का प्रमुख साधन है। देश के कुल शक्ति संसाधनों का 74% कोयला से ही प्राप्त होता है।
यह लौह-इस्पात उद्योग तथा अन्य उद्योगों के लिए आधार स्तम्भ है। रासायनिक उद्योग के लिए यह कच्चा माल के रूप में काम आता है।
इससे गैस, अमोनिया, अलकतरा, रंग, नायलन इत्यादि बनता है। कोयला के बढ़ते हुए महत्त्व के कारण इसे काला सोना या काला हीरा कहा जाता है।
कोयला के भंडार— भारतीय भू-सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 186 अरब टन कोयले का भंडार है। इनमें से 98% कोयला गौण्डवाना तथा 2% कोयला टर्शियरी युग का है।
गौण्डवाना युग का कोयला मुख्यतः बिटुमिनस तथा टर्शियरी युग का कोयला लिग्नाइट प्रकार का है।
गौण्डवाना के कोयला भंडार झारखण्ड, प० बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में तथा टर्शियरीयुगीन कोयला-भंडार असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और जम्मू- -कश्मीर में है।
तमिलनाडु में भी लिग्नाइट कोयला मिलता है। भारत के कुल कोयला का दो-तिहाई भंडार केवल झारखंड, प० बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में है।
कोयला का उत्पादन– भारत में कोयला का उत्खनन 1774 ई० में प्रारंभ हुआ। किंतु, व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन 1839 ई० से हो रहा है।
स्वतंत्रता के बाद कोयला के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। 1951 ई० में कोयला का उत्पादन 3.23 करोड़ टन था जो बढ़कर 1981 ई० में 12.5 करोड़ टन और 1991 ई० में 22 करोड़ टन पहुँच गया।
1998-99 ई० में कुल 23.36 करोड़ टन कोयला का उत्पादन हुआ है जिसमें 2.3 करोड़ टन लिग्नाइट कोयला सम्मिलित है।
इस प्रकार 1998-99 ई० में कुल 171.71 अरब रुपये के कोयले का उत्पादन हुआ, जिनमें 9.27 अरब रुपये का लिग्नाइट कोयला सम्मिलित है।
अभी भारत का स्थान विश्व के कोयला उत्पादक देशों में आठवाँ है। भारत में कोयला उत्पादक राज्यों में झारखण्ड का स्थान प्रथम है, जहाँ देश के कुल कोयला का लगभग 30% उत्पादन होता है।
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, प० बंगाल और आंध्रप्रदेश अन्य उत्पादक राज्य हैं।
भारत सरकार ने अब कोयले का उत्पादन अपने हाथों में ले लिया है तथा सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय कोयला विकास निगम की स्थापना की है। यह देश में कोयला-क्षेत्रों का तेजी से विकास कर रहा है।