पाटलिपुत्र प्राचीन काल (Ancient Time) से ही अपने वैभव एवं परंपरा के लिए विख्यात रहा है। विदेशी यूनानी लोगों ने आकर अपने संस्मरण में यहां की अनेक उत्कृष्ट संपदाओं का वर्णन किया है।
मेगास्थनीज (Megasthenes) ने लिखा है, कि चंद्रगुप्त मौर्य काल में यहां की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी।
अशोक काल में यहां निरंतर स्मृति रही। कवि राजशेखर ने अपनी रचना काव्यमीमांसा (Kavya Mimamsa) में ऐसी ही बात लिखी है, कि यहां बड़े-बड़े कवि व्याकरण भाष्यकार परीक्षित हुए।
आज पाटलिपुत्र नगर पटना (Patna) नाम से जाना जाता है, जहां संग्रहालय, गोलघर (Golghar), जैविक उद्यान (Biological Park) इत्यादि दर्शनीय स्थल है।
इस प्रकार पाटलिपुत्र प्राचीन काल से आज तक विभिन्न क्षेत्रों में वैभव धारण करता रहा है, जिसका संकलित रूप संग्रहालय (Museum) में देखने योग्य है।