प्रगतिशील कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने 'जन-जन का चेहरा एक ' शीर्षक कविता में 'जन-जन के संघर्ष को वाणी दी है।
इस कविता में कवि की दृष्टि और संवेदना वैश्विक और सार्वभौमिक दिखाई पड़ती है। कवि पीड़ित और संघर्षशील जनता का, जो मानवोचित अधिकारों के लिए कर्मरत है, चित्र प्रस्तुत करता है। यह जनता दुनिया के तमाम देशों में संघर्षरत है और अपने कर्म और श्रम से न्याय, शांति, बंधुत्व की दिशा में प्रयासरत है।
कवि इस जनता में एक अन्तर्वर्ती एकता देखता है और इस एकता को कविता का कथ्य बनाकर संघर्षकारी संकल्प में प्रेरणा और उत्साह का संचार करता है।