उत्तर : आज सिनेमा मनोरंजन के क्षेत्र में सर्वप्रिय साधन है। मनोरंजन के माध्यम से यह मानव हृदय पर गहरी छाप छोड़ता है। अध्ययन में सिनेमा का महत्व उसके कथानक और प्रस्तुतीकरण पर निर्भर करता है। कथानक की सशक्तता और प्रस्तुतीकरण प्रभावशाली होने पर उसका प्रभाव गहरा पड़ता है। आज भी समाज हुआछूत, जाति-पांति, दहेज, बाल-विवाह, अनमेल विवाह आदि कुप्रथाओं से ग्रस्त है। पुरानी फिल्मों में इन समस्याओं का समाधान बड़ी सुक्ष्मता और सहजता से प्रस्तुत किया जाता था। किन्तु आधुनिक फिल्मों में वैसी सूक्षमता और सहजता नहीं पाई जाती। आज भी फिल्मों में पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक आधारों का चित्रण होता है, किन्तु उसमें आधुनिक रंग चढ़ा दिया जाता है। आज के फिल्म निर्माता पूर्णतः व्यावसायिक हो गए है। वे सिनेमा के माध्यम से अधिकाधिक लाभ कमाना चाहते हैं। फिल्म-निर्माताओं की दलील होती है कि हम दर्शकों की अभिरुचि को ध्यान में रखकर ही फिल्म तैयार करते हैं।