भारत में स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु आयुष्मान भारत योजना की घोषणा वित्तमंत्री श्री अरूण जेटली ने 1 फरवरी 2018 के बजट भाषण में किया था। 21 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आयुष्मान भारत योजना के तहत पहले स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र का उद्घाटन किया। आयुष्मान भारत योजना की निगरानी सरकार द्वारा बनाई गई आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन एजेंसी करेगी।
भारत सरकार की यह महत्त्वकांक्षी योजना है। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना और वरिष्ठ नागरिक बीमा योजना को समाहित किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को 31 मार्च 2020 तक बढ़ाया गया। इसके लिए 85 हजार करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता को मंजूरी दी गई। आयुष्मान भारत योजना के दो मुख्य घटक हैं- स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना |
स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र के अंतर्गत लोगों के घरों के निकट 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्र खोले जायेंगे जहां असंक्रामक रोगों, मातृ - स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य सेवाओं की देखभाल की सुविधाएँ होगी तथा आवश्यक दवाईयाँ और जाँच मुफ्त में उपलब्ध करायी जायेगी। इस योजना के लिए सरकार ने कुल 12 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं।
योजना का दूसरा घटक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना विश्व की सबसे बड़ा स्वास्थ्य योजना है। जिसके तहत 10.74 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ से अधिक लोगों को कैशलेस तरीके से मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ दी जायेंगी। ये सुविधाएँ परिवार के हर सदस्य को दी जायेगी। इस योजना के द्वारा एक परिवार को सालाना 5 लाख तक सहायता दी जायेगी। इस राशि में केन्द्र तथा राज्य सरकार का अनुपात 60:40 का होगा। जबकि पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों में केन्द्र का योगदान 90% तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार अकेले खर्च वहन करेगी। राज्यों के fोष नोडल ऑफिसर सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 के आँकड़ों के हिसाब २. गरीब परिवारों की पहचान करेंगे। इन परिवारों को आधार डाटा से जोड़कर नगदी रहित पारदर्शी तरीके से सुविधा मुहैया कराई जायेगी। सरकार मौजूदा जिला अस्पताल को अपग्रेड कर 24 नये सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना करेगी। नई योजना के तहत हर तीन संसदीय क्षेत्रों या फिर एक जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज खोले जायेंगे। इस योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इतने बड़े स्वास्थ्य योजना को लागू करने में अनेक चुनौतियाँ हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डॉक्टर तथा मरीज का अनुपात 1:400 का होना चाहिए मगर भारत में यह अनुपात 1:1700 का है। भारत में 40 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएँ सरकारी और 60 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएँ निजी क्षेत्रों के हाथों में है और कम बजट के कारण इस योजना को लागू करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उनके बिना इतनी बड़ी योजना को धरातल पर सफल बनाना एक बड़ी चुनौती है।