संचार क्या है? इसके विकास का वर्णन करें। Sanchar Kya Hai? Iske Vikas Ka Varnan Karen
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संचार क्या है? इसके विकास का वर्णन करें। Sanchar Kya Hai? Iske Vikas Ka Varnan Karen

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संचार क्या है? What is Communication?

संचार शब्द का अर्थ है : प्राणियों के बीच विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान। जीव-जन्तु विशिष्ट आवाजों द्वारा एक-दूसरे के साथ सन्देशों का आदान-प्रदान करते हैं।

पुराने ज़माने में मनुष्य चिल्लाकर, बिगुल बजाकर, ढोल पीटकर, आग जलाकर या रोशनी दिखाकर अपने सन्देश भेजता था। धीरे-धीरे मानव ने भाषा और लेखन का विकास किया ।

भाषा और लेखन द्वारा मानव अपने जटिल विचारों और सूचनाओं को व्यक्त कर सकता था। मुगल काल में सन्देशों को भेजने के लिए कबूतरों का प्रयोग किया जाता था।

कबूतर के गले में धागे से पत्र को बांध दिया जाता था । 16वीं सदी के आरम्भ में डाक प्रणाली शुरू हो गयी थी, लेकिन दूर स्थानों पर सन्देश भेजने के लिए सन् 1830 तक घुड़सवारों का इस्तेमाल किया जाता था।

भारत में डाक प्रणाली का आरम्भ सन् 1854 में हुआ।

टेक्नोलॉजी के विकास ने संचार का हमें एक नया मार्ग दिखाया।

सन् 1837 में इंग्लैण्ड के कुक और चार्ल्स (Cooke and Charles) ने तथा अमेरिका में सैम्युएल मोर्स (Samuel Morse) ने विद्युत टेलीग्राफ (Electric Telegraph) का विकास किया। यह यन्त्र सन्देशों को तार के द्वारा विद्युत संकेतों या कोड के रूप में भेजता था। कोड में वर्णमाला के अक्षरों और संख्याओं को डॉट और डैश के रूप में विकसित किया गया था।

अमेरिका के अलेक्जेण्डर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) ने सन् 1873 में टेलीफोन का आविष्कार किया, जिसमें आवाज़ को तारों के द्वारा भेजने की व्यवस्था थी।

इटली के गुग्लील्मो मार्कोनी ने (Guglielmo Marconi) ने सन् 1894 में बेतार के तार (Wireless Telegraph) का आविष्कार किया, जो सन्देशों को बिना तार के लम्बी दूरी तक भेज सकता था।

इन्हीं महान वैज्ञानिकों ने आधुनिक दूरसंचार की नींव डाली, जिसके परिणामस्वरूप आज हम क्षणभर में दुनिया के किसी भी स्थान तक सन्देश पहुँचा सकते हैं, और सन्देश प्राप्त कर सकते हैं ।

विद्युत टेलीग्राफ से आधुनिक टेलेक्स पद्धति ( Telex System) का विकास हुआ और वायरलेस टेलीग्राफ से जन्मा रेडियो।

सबसे अधिक टेलीफोन नेटवर्क ने प्रगति की है । अब फैक्स (Fax) द्वारा सन्देशों के साथ हम चित्र भी भेज सकते हैं।

संचार के साधन

संचार साधनों में रेडियो तरंगों का विशेष महत्त्व रहा है।

रेडियो तरंगों (Radio waves) का उपयोग टेलेक्स, टेलीफोन, रेडियो और टेलीविज़न आदि सभी प्रणालियों में किया जाता है। विशेष रूप से समुद्र पार संचारों में उपग्रहों (Satellites) द्वारा जो सन्देश भेजे जाते हैं, उनमें अति लघु रेडियो तरंगों ( Very Short Radio Waves) या सूक्ष्म तरंगों (Micro Waves) का इस्तेमाल होता है।

माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (Microelectronics) और कम्प्यूटर के विकास से दूरसंचार में तेज़ी से प्रगति हुई।

टेलीफोन द्वारा भेजी गयी सूचना को कम्प्यूटर अपने आप ही तीव्रता के साथ बिना किसी गलती के अदला-बदली कर सकता है ।

पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा आदि सूचना देने के जाने-माने साधन हैं। इन्हीं साधनों के द्वारा हम घर बैठे ही देश-विदेश की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, और क्षणभर में लोगों से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।

सन् 1957 में अन्तरिक्ष युग का आरम्भ हुआ। देखते ही देखते वैज्ञानिकों ने संचार उपग्रह विकसित कर डाले । संचार उपग्रहों ने संचार के क्षेत्र में क्रान्ति पैदा कर दी। इनकी सहायता से हम देश-विदेशों का जीता जागता हाल टी.वी. पर देख सकते हैं। इनके द्वारा टेलीटेक्स्ट और वीडियो टेक्स्ट जैसी प्रणालियाँ विकसित हो गयी हैं।

कम्प्यूटर ने सन्देशों के आदान-प्रदान में क्रान्ति पैदा कर दी है।

ई-मेल द्वारा हम पल भर में कोई भी सूचना कहीं भी भेज सकते हैं।

‘इण्टरनेट' (Internet) कम्प्यूटर की ही देन है। कम्प्यूटर द्वारा हम विदेश में बैठे अपने सगे-सम्बन्धियों से चैट कर सकते हैं।

यदि आधुनिक युग को सूचना प्रणाली का युग कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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