सावे दादा सिनेमा के काम को शुरू करनेवाले पहले भारतीय थे । वे मझोले कद के गोरे चिट्टे, दुबली-पतली कायावाले थे। वे अपने जमाने के बहुत बड़े कैमरामैन थे। उन्होंने ल्युमीयेर ब्रदर्स के प्रोजेक्टर, फोटो डेवलप करने की मशीन (या मशीनें) खरीदकर भारत में इस धंधे का एक तरह से राष्ट्रीयकरण कर लिया था।
सावे दादा इंग्लैंड जाकर एक कैमरा लाए थे। उन्होंने इंग्लैंड और फ्रांस के सिनेमेटोग्राफी कला विशेषज्ञों से भेंट करके भारत में सिनेमा उद्योग को स्थापित करने के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ भी प्राप्त की थीं। उन्होंने छोटी-मोटी बहुत फिल्में बनाईं। उन्होंने भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और कैंब्रिज विश्वविद्यालय(Cambridge University) के प्रथम छात्र तथा बाद में लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर सर आर० पी० परांजपे के स्वागतोत्सव पर एक डाक्यूमेट्री फिल्म बनाई थी। इसके अतिरिक्त लोकमान्य तिलक, गोखले आदि देश के मान्य नेताओं पर भी फिल्में बनाई थीं।