मनोसामाजिक शब्द व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक पहलुओं (यथा विचार, चिन्तन, भावनाएँ तथा व्यवहार) एवं विस्तृत सामाजिक अनुभवों के मध्य घनिष्ठ संबंध को इंगित करता है। शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों ही अपने आसपास की सामाजिक परिस्थितियों से मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित होते हैं, जो कि सीखने की गुणवत्ता तथा प्रभावशीलता को बढ़ा भी सकता है और भंग भी कर सकता है। इन सामाजिक परिस्थितियों को छात्रों के शारीरिक संवेगात्मक तथा मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों व योग्यताओं के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे छात्रों में यथोचित सामाजिक परम्पराओं एवं सांस्कृतिक मूल्यों की समझ विकसित हो सके।