कुछ पदार्थ जैसे लोहा, कोबाल्ट, निकेल तथा CrO,, चुम्बकीय क्षेत्र में प्रबल रूप से आकर्षित होते हैं। ऐसे पदार्थ लौहचुम्बकत्व पदार्थ कहलाते हैं। ऐसे पदार्थों को स्थायी चुम्बकत्व दिया जा सकता है।
ठोस अवस्था में लौहचुम्बकत्व पदार्थ के धातु आयन इकट्ठे होकर डोमेन बनाते हैं। ऐसे सभी डोमेन एक छोटे चुम्बक की भाँति व्यवहार करते हैं।
जब लौहचुम्बकीय पदार्थ अचुम्बकीय होता है तब डोमेन चुम्बकीय आघूर्णो का संरेखण एक दिशा में होता है। जब इनको चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तब डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आघूर्णन करते हैं।
इससे प्रवल चुम्बकीय गुण वनते हैं । अतः लौहचुम्बकत्व स्थायी चुम्बकीय गुण ग्रहण कर लेता है ।
फेरीचुम्बकत्व जैसे Fe, O4 में डोमेनों के चुम्बकीय आघूर्णों का संरेखण समान्तर एवं प्रतिसमानान्तर दिशाओं में असमान होता है तब पदार्थ में फेरीचुम्बकत्व देखा जाता है।
ये लौहचुम्बकत्व की तुलना में चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं।