लायोफिलिक सॉल या कोलॉइड विलायक स्नेही (Solvent loving) होते हैं। इसे निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है -
यदि परिक्षेपित कला की प्रीति परिक्षेपण माध्यम के लिए बहुत अधिक हो तो ऐसे कोलॉइडल घोल को लायोफिलिक कोलॉइड कहा जाता है। "(if there is a large affinity of the dispered phase for the dispersion medium, the colloidal solution is called Lyophilic colloids or Lyophilic sols.)
लायोफिलिक सॉल्स को उत्क्रमणीय सॉल्स (Sols) भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि जब परिक्षेपित कला (Dispered Phase) का वाष्पीकरण (Evaporation) या स्कन्दन (Coagulation) द्वारा घोल से हटा लिया जाता है तो यह सिर्फ परिक्षेपण माध्यम को मिश्रित कर देने पर ही कोलॉइडल अवस्था में चला जाता है।
जिलेटीन, गोंद (BB 2016), स्टार्च इत्यादि इस कोटि के कोलॉइड्स हैं। लायोफिलिक कोलॉइड काफ़ी स्थायी होते हैं ।
उच्च स्थायित्व का कारण शायद विलायक से इनका प्रबल स्नेह (Strong affinity) लायोफिलिक कोलॉइड के परासरण दाब (Osmotic pressure) बहुत कम किन्तु आण्विक मात्रा उच्च होते हैं।
इस कोलॉइड के परासरण दर (Rate of diffusion) भी बहुत कम होते हैं। ऐसे कोलॉइड में परिक्षेपण माध्यम यदि जल हो तो इन्हें हाइड्रोफिलिक कोलॉइड (Hydrophilic colloid) कहा जाता है।