अवयवों का आकार व प्रकृति के आधार पर कोलॉइडों को निम्न रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है
(क) बहु आण्विक कोलॉइड
(ख) वृहदाण्विक कोलॉइड
(ग) सहचारी कोलॉइड (मिमेल।
( क ) बहुआण्विक कोलॉइड - विलीन करने पर किसी पदार्थ के बहुत से परमाणु या लघु अणु एकत्रित होकर पुंज जैसी म्पोशोज बनाते हैं जिनका आकार कोलॉइडी सीमा (व्यास < Inm) में होता है । इस प्रकार प्राप्त स्पीशीज बहुआण्विक कोलाइड कहलाती है। जैसे-एक गोल्ड मॉल में अनेक परमाणु युक्त भिन्न-भिन्न आकारों के कण हो सकते हैं। सल्फर सॉल में एक हजार या उससे भी अधिक S सल्फर अणु वाले कण उपस्थित होते हैं ।
( ख ) वृहदाण्विक कोलॉइड- वृहदाणु उचित विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमे वृहदाणुओं का आकार कोलॉइडी सोमा में होता है। ऐसे निकाय वृहदाण्विक कोलॉइड कहलाते हैं। ये कोलॉइड बहुत स्थायी होते हैं जैसे--स्टार्च, सेलूलोज प्रोटीन और एन्जाइम | (ग ) महचारी कोलॉइड ( मिसेल ) – कुछ पदार्थ ऐसे हैं जो कम सान्द्रताओं पर सामान्य प्रबल वेद्युत् अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं परन्तु उच्च मान्द्रताओं पर कणों का पुंज बनने के कारण कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं इस प्रकार पुंजित कण मिमेल कहलाते हैं।
ये सहचारो कोलॉइड भी कहलाते हैं। मिसेल केवल निश्चित ताप से अधिक ताप पर बनते हैं जिसे क्राफ्ट ताप कहते हैं। जैसे—साबुन, अपमार्जक आदि।