भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिये, किसी शत्रु के युद्धक विमान की चाल सुनिश्चित करने के लिये बहुत ही छोटे-छोटे समय- अन्तरालों पर उसकी स्थिति का पता लगाने के लिये कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए।
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भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिये, किसी शत्रु के युद्धक विमान की चाल सुनिश्चित करने के लिये बहुत ही छोटे-छोटे समय- अन्तरालों पर उसकी स्थिति का पता लगाने के लिये कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध में रडार के आविष्कार के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था । आधुनिक विज्ञान में उन विभिन्न उदाहरणों पर विचार कीजिए जिनमें लम्बाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य कहीं भी जहाँ आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक अवधारणा दीजिए।

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नाभिकीय हथियारों में नाभिकीय एवं परमाणविक अभिक्रियाओं में समय एवं द्रव्यमान की यथार्थ माप की आवश्यकता होती है और ऐसा ही नाभिकीय रिएक्टरों से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करनें में भी। (इसमें 10 सेकण्ड तथा 10” किग्रा की कोटि की परिशुद्धता की आवश्यकता होती है।)

2. रेडियो एवं लेसर उपचार के लिए फोड़े (Tumor) की यथार्थ स्थिति, आकार तथा शरीर में उसके द्रव्यमान का ज्ञान होना अत्यावश्यक है। यह 10" मीटर कोटि का होता है।

3. लेसर के बहुत-से अनुप्रयोग समय एवं दूरी के अंतराल पर निर्भर हैं। इसमें आवश्यक समय- अन्तराल 10 सेकण्ड की कोटि का होता है। 

4. तनु झिल्ली तकनीक, अर्धचालक युक्तियों का कुल परास, पदार्थ के तल की मोटाई के यथार्थ विकास पर आधारित है। इनका सामान्य परास माइक्रोमीटर होता है।

फोटोग्राफिक झिल्ली, धातु विज्ञान, क्षयकारी रोधी विद्युत लेपन में अणु के तुल्य मोटी परत के अतिरिक्त कई और युक्तियों में भी इसकी आवश्यकता होती है।

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