कुमार गुप्त (415 - 455 ई0) :- चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद इसका पुत्र कुमार गुप्त शासक बना। इसके शासन काल में शिक्षा के महान् केन्द्र नालन्दा महाविहार की स्थापना की गई। कुमारगुप्त का शासनकाल अपेक्षाकृत शांत था, लेकिन अंतिम समय में इसे पुष्यमित्रों के आक्रमण का सामना करना पड़ा था।
स्कंदगुप्त (455-467ई0) :- कुमारगुप्त के बाद स्कंदगुप्त शासक बना। जब वह पुष्यमित्रों को पराजित कर लौटा तो पिता की मृत्यु का समाचार मिला। उसी समय उत्तर-पश्चिम प्रांत से हुणों के आक्रमण शुरू हो गए। इसने हूणों को भी पराजित किया और शक्रादित्य की उपाधि धारण की।
( हूण - हूणों का सामाज्य पर्शिया से खोतान तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी अफगानिस्तान में वामियान थी। प्रथम हूण शासक जिसने भारत की ओर रूख किया वह तोरमान था। चीनी यात्री कहते हैं , कि इसका पुत्र मिहिर कुल बौद्ध धर्म के प्रति घृणा का भाव रखता था। इसने कई बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी और अनेक बौद्ध विहार नष्ट किए। यह संभवत शैव धर्म का अनुयायी था। )
स्कंदगुप्त के बाद गुप्त शासक हूणों के आक्रमण का सफलता पूर्वक सामना नहीं कर सके। साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा ।