इसमें पारितन्त्र के संघटकों एवं इसकी संरचना, ऊर्जा का प्रभाव, पदार्थों की संरचना, पारितंत्र की उत्पादकता, पौधों व जंतुओं का क्षेत्रीय व प्रादेशिक वितरण, पर्यावरण का ह्रास, पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक एवं मानवीय समस्याओं व इनको दूर करने के उपायों को शामिल किया जाता है।