तृतीय धर्म युद्ध के बारे में लिखेंI Teitiya Dharm Yuddh Ke Bare Mein Likhen.
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तृतीय धर्मयुद्ध  (Third Crusade) (1189) : सलादीन के साथ मुकाबला करने के लिए यूरोप के चर्च, सम्राटों तथा सरदारों के मध्य एक विचित्र जोश उभरा। लेकिन, वे संगठित होकर आक्रमण नहीं कर पाये। 

जर्मनी का शासक बारबोसा पहल कर 1189 ई. में एशिया माइनर को पार कर जेरुसलेम पर कब्जा करना चाहा। लेकिन एक नदी को पार करने के समय डुबकर मर गया। नेतृत्व विहीन सेना छिन्न-भिन्न हो गयी। 

अक्रे पर ईसाइयों का कब्जा हो गया। किन्तु यूरोपीय शासकों को अन्ततः 1192 ई. में सलादीन के साथ समझौता करने के लिए राजी होना पड़ा। 

समझौता के अनुसार जेरुसलेम तथा फिलिस्तीन पर तुर्कों का आधिपत्य हो गया तथा कुछ बन्दरगाहों पर ईसाइयों को निवास करने की सुविधा दी गयी। 

यूरोप के ईसाईयों को जेरुसलेम की यात्रा करने की रियायतें दी गयीं तथा उन्हें कर से मुक्त कर दिया गया। तृतीय धर्मयुद्ध के बाद भी धार्मिक स्थान पर नियंत्रण के उद्देश्य से युद्ध होता रहा। अंततोगत्वा 1291 ई. में मिस्र में शासकों, मामलूकों से ने पूरे फिलिस्तिन से ईसाइयों को निकाल दिया तथा अपना ध्यान आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विकास की ओर केन्द्रित किया। धर्मयुद्ध ने ईसाई तथा मुसलमानों के मध्य दुश्मनी उत्पन्न कर दिया। लेकिन व्यापार का काम पूर्ववत चलता रहा।

इस प्रकार धर्मयुद्ध (crusade) मध्यकालीन विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।

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