द्वितीय धर्म युद्ध के बारे में लिखेंI Dwitiya Dharm Yuddh Ke Bare Mein Likhen.
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दूसरा धर्मयुद्ध ( 1145 से 1149 ई.) : ऐडेस्सा पर तुर्कों का वर्चस्व यूरोपीय शासकों को उत्तेजित कर दिया। फ्रांस का सम्राट लूइस 7वां युद्ध के लिए पूर्णरूपेण तैयार नहीं था। 

सम्राट कोनरद अपनी बड़ी सेना लेकर एशिया माइनर की ओर बढ़ा। पूर्वी क्षेत्र का सम्राट मैनुअल कोमनेनस की सेना साथ हो गयी। लूई की सेना दूसरे वर्ष साथ देने के लिए पहुँची। रोडम के पहाड़ी क्षेत्र में फ्रांस की सेना का बहुत बड़ा भाग विनष्ट हो गया। 

दश्मिक पर आक्रमण सफल नहीं हो सका तथा हारने के उपरांत कुछ ही सैनिक फ्रांस वापस आए। भीषण पराजय के पश्चात ईसाई शासक थोड़ा होश में आये तथा उनका अपकर्षण नये क्षेत्रों पर विजय प्राप्त करना हो गया। 

इस मध्य प्रलादीन सलाह अल-दीन ने मिस्र में फातिमी सत्ता पर अधिकार करने के उपरांत सीरिया पर भी अपना वर्चस्व जमा लिया। सलादीन ने ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर 1187 ई. में जेरुसलेम, ऐटीओक, द्वीपोलिस और टायर पर कब्जा कर लिया। सलादीन के विरुद्ध इसाइयों ने तीसरे धर्मयुद्ध का संचालन किया।

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