Ans : यह सेल तब काम करता है जब इसे बाहर से विद्युत धारा (Electric current) प्रवाहित करके आविष्ट कर दिया जाता है। उपयोग में आने पर यह अनाविष्ट हो जाता है। अतः इसे पहले की भाँति समय-समय पर आविष्ट करना पड़ता है।
आविष्ट करते समय इसके अंतर्गत कुछ रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं जो सेल के अनाविष्ट होने पर उल्टी दिशा में होने लगती हैं। इस सेल में जिन पदार्थों की खपत होती है सेल को पुनः आविष्ट करने पर वे अपनी पूर्वावस्था में आ जाते हैं।
अतः, इस सेल को बारबार उपयोग में लाया जा सकता है। लेड संचायक द्वितीयक सेल का एक प्रमुख उदाहरण है।