पशुपालन पशु प्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन की संबंध पशुधन जैसे— भैंस, गाय, सूअर, घोड़ा, भेंड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से है जो मानव के लिए लाभप्रद है।
इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल हैं। अति प्राचीन काल से मानव द्वारा जैसे – मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे— दूध, अंडे, मांस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है।
विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है। पशुपालन खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाता है।
शहद का उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खी पालन अथवा मोम पालन पद्धति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डेरी उद्योग से दुग्ध तथा उसके उत्पाद प्राप्त होते हैं।
कुक्कुट का प्रयोग भोजन के लिए अथवा उनके अंडों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जंतुओं पर आश्रित है।
हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या पशुपालन उद्योग से किसी न किसी रूप से जुड़ी हुई है।