भारत में मुस्लिम सांप्रदायिकता (Muslim communalism) के उदय के दो कारण निम्नलिखित हैं—
1. अंग्रेजों की फुट डालो और शासन करो की नीति : भारत में मुस्लिम सांप्रदायिकता अंग्रेजों की देन है।
भारत में अपने साम्राज्य की रक्षा करने के लिये उन्होंने फुट डालो और शासन करो की व्यापक नीति अपनायी थी और इसके लिए भारत के विभिन्न समुदायों को एक दूसरे से पृथक रखना, उनमें द्वेष उत्पन्न करना आवश्यक हो गया था।
अंग्रेज अपनी कुटील चालों द्वारा सुनियोजित ढंग से फुट डालकर मुस्लिम नेताओं का सहयोग प्राप्त किया।
2. सैयद अहमद खाँ के प्रयास : मुसलमानों को अंग्रेजों के प्रियपात्र बनाने में सबसे बड़ी भूमिका सर सैयद अहमद खाँ ने निभाई।
प्रारंभ में उनका दृष्टिकोण राष्ट्रवादी था, बाद में उनका दृष्टिकोण संकीर्ण और रूढ़ीवादी हो गया।
उन्होंने मुसलमानों को अंग्रेजों का साथ देने का आह्वान किया।