क्या राजनीतिक समाजशास्त्र राजनीति का समाजशास्त्र है? राजनीतिक समाजशास्त्र और राजनीति के समाजशास्त्र में अन्तर बतावें । Kya Rajnitik Samajshastra Rajnitik Ka Samajshastra Hai? Rajnitik Samajshastra Aur Rajnitik Ke Samajshastra Mein Antar Bataen.
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क्या राजनीतिक समाजशास्त्र राजनीति का समाजशास्त्र है? राजनीतिक समाजशास्त्र और राजनीति के समाजशास्त्र में अन्तर बतावें । Kya Rajnitik Samajshastra Rajnitik Ka Samajshastra Hai? Rajnitik Samajshastra Aur Rajnitik Ke Samajshastra Mein Antar Bataen.

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राजनीतिक समाजशास्त्र का सामाजिक विज्ञान की एक शाखा के रूप में उद्भव कोई आकस्मिक घटना नहीं है। निरन्तरण अध्ययनों के परिणामों ने इसके सैद्धांतिक आधार के स्वरूप को निर्मित किया है। 

कुछ पुरातन सिद्धांतों की विवेचना के आधार पर इसका निर्माण नही हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में कुछ विद्वानों ने राजनीतिक तथ्यों का अध्ययन समाजशास्त्र के उपागमों की सहायता से प्रारम्भ किया, विशेष रूप से पश्चिमी देशों में इस प्रकार के अध्ययनों को प्रारम्भ करने का श्रेय अमेरिका के विद्वानों को जाता ।

निरन्तर आनुभविक शोध अध्ययनों ने कुछ विशिष्ट प्रकार के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया। जब इनकी संख्या विस्तृत हो गई तब यह समस्या सामने आई कि सिद्धांतों को किस सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत वर्गीकृत किया जाये। इन नवोदित सिद्धांतों की प्रकृति न तो शुद्ध रूप से राजनीतिशास्त्र के अनुरूप थी न ही इसे विशुद्ध रूप से समाजशास्त्रीय चिन्तन के रूप में स्वीकार किया जा कसता था। तब दो विद्वानों के इस संगम के नामकरण हेतु राजनीतिक समाजशास्त्र' का शीर्षक प्रस्तावित हुआ। इस प्रक्रया के चलते राजनीतिक समाजशास्त्रउ अपने स्वतंत्र अस्तित्व को कायम कर सका।

यह एक निश्चित तथ्य है कि राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र के मिश्रण से राजनीतिक समाजशास्त्र का उदय हुआ है।

 जैसा कि मुखोपाध्याय ने लिखा है कि 'राजनीतिक समाजशास्त्र राजनीति और समाजशास्त्र के वैवाहिक सम्बन्धों से उत्पन्न सन्तान है, जिसे मानवीय गुणों की ही भाँति अलग अर्थों में नहीं लिया जा सकता।' इस कथन से उनका तात्पर्य है कि जिस प्रकार माता पिता के गुणों के आधार पर ही संतान की व्याख्या होती है उसकी प्रकार पूर्वज -समानताओं के साथ-साथ राजनीतिक समाजशास्त्र अपने पूर्वज विज्ञानों से भिन्नता भी रखता है।

 विभिन्नताओं की चर्चा करते हुए मुखोपाध्याय ने लिखा है कि राजनीतिक विज्ञान अनिवार्य रूप से राज्य का अध्ययन करता है । " 

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि राजनीतिशास्त्र का सम्बन्ध केवल राज्य से सम्बन्धित अधिकारों, शक्ति स्रोतों तथा अन्य घटनाओं से है। 64.

समाजशास्त्र उन क्षेत्रों के अध्ययन करता है जो वास्तव में इन सन्दर्भों में राजनीति विज्ञान के क्षेत्र से बाहर हैं। समाज समाजशास्त्र का केन्द्र बिन्दु है।

 काम्ट की भाषा में कहें तो समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है। दूसरे शब्दों में समाजशास्त्र उन पद्धवतियों की खपोज करता हैं जिनके आधार पर सामाजिक सम्बन्धों में अन्तः क्रिया होती है तथा जो सामाजिक विकास और सामाजिक संस्थाओं के कार्यों की वैकासिक व्याख्या कर सकने में समर्थ हैं।

प्रमुख रूप से हम कह सकते हैं कि राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में प्रमुख अन्तर विषय-वस्तु का है। जहाँ राजनीति विज्ञान का केन्द्र बिन्दु 'राज्य' है वहीं समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र का केन्द्रक 'समाज' है। - - -

- लिप्सेट(Lipset) और बेन्डिक्स (Bendix) का कथन है कि हम जिन अर्थों में राजनीति-विज्ञान और समाजशास्त्र को अलग कर सकते हैं उन अर्थों में राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र को अलग नहीं कर सकते। उनके अनुसार राजनीति विज्ञान राज्य से प्रारम्भ होकर यह व्याख्या करता है कि यह (राज्य) समाज को किस प्रकार प्रभावित करता है, जबकि राजनीतिक समाजशास्त्र समाज से प्रारम्भ होता है और व्याख्या करता है कि समाज राज्य को किस प्रकार प्रभावित करता है।

 समाजशास्त्रीय भाषा में हम इसे इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं। कि राजनीति विज्ञान, राजनीतिक घटनाओं को ‘व्याख्या चल' (Explanatory Varsable) के रूप में प्रयुक्त करता है। जबकि राजनीतिक समाजशास्त्र के व्याख्यात्मक चल सामाजिक है।

 सामान्य रूप में राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र और राजनीतिक समाजशास्त्र में क्या अन्तर है? अतः इन प्रश्नों का उठाना सम्भव है कि समाजशास्त्र और राजनीतिक समाजशास्त्र में क्या अन्तर है। ? क्या ये दोनों समान हैं? अथवा राजनीतिक समाजशास्त्र का ही एक अंश है ? आदि।

सम्भवतया लिप्सेट ने इस समस्या को समझा होगा और उन्होंने इसका समाधान प्रस्तुत करते हुए कहा कि "राज्य और समाज को दो स्वतंत्र सावयवों (organism) के रूप में स्वीकार करने पर गलतियों की संभावना है।" राजनीतिक समाजशास्त्रियों का कथन है कि 'राज्य (State) विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं में से एक है। 

तथा राजनीतिक संस्थाएँ, समाज के विभिन्न अंग या संकुलों (clusters) में से एक संकुल है।

 सामान्य रूप से समाजशास्त्र एक संस्था और संस्थाओं का सम्बन्ध गत अध्ययन करता है और राजनीतिक समाजशास्त्र राजनीतिक संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के बीच पाये जाने वाले सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

लिप्सेट द्वारा व्यक्त विचारों का समीकरण करते हुए हम कह सकते हैं कि समाज में अनेक संस्थायें होती हैं जिनमें आपस में सम्बन्ध पाये जाते हैं।

4 सी इसावी के शब्दों में, सामान्य समाजशास्त्र विशिष्टवाद प्रारम्भ होने से न तो स्वयं पूर्णतया एक पृथक विज्ञान है और न सामाजिक विज्ञानों का एक संश्लेषण मात्र है। जिनमें यान्त्रिक सान्निध्य में उनके परिणामों का समावेश हो। यह एक जीवनदायी सिद्धान्त है जो समस्त सामाजिक अनसन्धानों में समाविष्ट है, उसका पोषण करता है और स्वयं उससे पोषित होता है।

 जो जाँच को प्रोत्साहन प्रदान करने, परिणामों को परस्पर सम्बद्ध करने, सम्पूर्ण जीवन को भागों में अध्ययन करने की अपेक्षा सम्पूर्ण की एक व्यापक जानकारी देने से सम्बन्धित है। '

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