भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निम्नलिखित कारकों द्वारा प्रभावित होता है।
(1) भू-भाग का स्वरूप वनस्पति के प्रकार पर इसका बहुत प्रभाव पड़ता पहाड़, पठार एवं मैदानी भागों में एक ही प्रकार की वनस्पति नहीं पायी जाती है। पहाड़ का धरातल काफी उबड़-खाबड़, ऊँचा तथा दुर्गम होता है। इसलिए यहाँ अलग प्रकार की वनस्पतियाँ उगती हैं। इसी प्रकार पठार तथा मैदानी भाग के धरातल पर भिन्न प्रकार की वनस्पतियों उगती है।
(2) मिट्टी मिट्टी की अलग-अलग किस्में भी वनस्पति को प्रभावित करती हैं, जैसे राजस्थान के बलुआही मिट्टी में कोटेदार झाड़ियों, दलदल भूमि में सुंदरी तथा पथरीली मिट्टी में संकुल क्न पाये जाते हैं।
(3) जलवायु - जलवायु को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है(i) तापमान – तापमान भी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कारक है, जिससे वनस्पति की विविधता प्रभावित होती है।
(ii) सूर्य का प्रकाश - सूर्य का प्रकाश भी वनस्पति की विविधता को प्रभावित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है। सूर्य प्रकाश अवधि, उसका तिरछापन तथा समुद्र-जल से ऊँचाई जैसे कारकों को इस पर सीधा प्रभाव पड़ता है। की
(iii) वर्पण (वर्षा) – वर्षा की मात्रा वनस्पति को नमी उपलब्ध कराता है। वनस्पति के उगने में नमी का अत्यधिक महत्त्व है। जैसे-जैसे वर्षा की मात्रा घटती या बढ़ती है, वैसे-वैसे वनस्पति में परिवर्तन होता है। अतः हम देखते हैं कि भारत में पादपो तथ जीवों की विविधता उपर्युक्त कारकों द्वारा प्रभावित होता है।